दूसरी बात यह है कि अपने अंदर इतनी विवेक शक्ति भी पैदा करें जिससे भले और स्वार्थी मित्र और रिश्तेदार की पहचान हो सके।
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ठीक इसी प्रकार स्वार्थी मित्र भी हानिप्रद होता है क्योंकि ऐसे मित्र केवल नाम मात्र के लिए ही मित्र होता है और केवल अपने स्वार्थों की पूर्ति और अपने हितों की रक्षा के लिए ही मित्रता करता है ।